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जीवन का प्रवाह

जीवन का कोई अनुभव स्थाई और चिरंतन नहीं. जीवन की स्थिति समय में है और समय प्रवाह है. प्रवाह में साधु-असाधु, प्रिय-अप्रिय सभी कुछ आता है. प्रवाह का यह क्रम ही सृष्टि और प्रकृति की नित्यता है. जीवन के प्रवाह में एक समय असाधु, अप्रिय अनुभव आया इसलिए उस प्रवाह से विरक्त होकर जीवन की तृषा को तृप्त न करना केवल हठ  है.  निरंतर प्रयत्न ही जीवन का लक्षण है. जीवन के एक प्रयत्न या एक अंश की विफलता से पूर्ण जीवन की विफलता नहीं है.                                                                                               ...पुस्तकांश....दिव्या(यशपाल)

आओ मिलकर दिया जलाएं

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आओ मिलकर दिया जलाएं खो लें अपनी मन की गांठें  गले मिलें और रिश्ते जोड़ें हर्ष-प्रकम्पित अधरों से हम आज खुशी के गीत गायें आओ मिलकर दिया जलाएं. बीत रहा जब पल हो बेहतर आनेवाला कल हो बेहतर, बीत गया जो पल था बेहतर यही सीख ले कदम बढ़ाएं आओ मिलकर दिया जलाएं. अच्छी सेहत अच्छा तन हो शिक्षा से सब उज्जवल मन हों कोई पीड़ित न अज्ञानी हो बहकावे में ना नादानी  हो सर्वधर्म सद्भाव बढ़ाएं आओ मिलकर दिया जलाएं.