सूचना के अधिकार से सशक्त होती महिलाएं


सोनडिमरा की अलका हो, डिमरा की सुचित्रा या फिर मगनपुरा की सुबोध, ये महिलाएँ देखने में किसी आम ग्रामीण महिलाओं जैसी ही हैं. मुश्किल से 8वीं या 9वीं कक्षा पास ये महिलाएं जब तक आप से बात न करें तो आप उनसे साधारण ग्रामीण महिलाओं जैसा ही व्यवहार करते हैं लेकिन जब आप उनकी गतिविधियों  पर नज़र डालेंगे तो आप को हैरत होगी कि वे अपने सामाजिक अधिकारों के प्रति किसी भी सुशिक्षित आधुनिक महिला से ज्यादा सचेष्ट व जागरूक हैं. ये महिलाएँ वह सब कुछ कर दिखा रही हैं जो तथाकथित शिक्षित समाज में सिर्फ बहस-मुबाहसों तक सिमट कर रह जाता है. 
हजारीबाग(झारखण्ड) जिले के गोला प्रखंड की रहनेवाली ये महिलाएँ न सिर्फ स्वयं व अपने गाँव के विकास के प्रति क्रियाशील हैं बल्कि अपने क्षेत्र की सामाजिक समस्याओं से भी बाखबर हैं. विकास भैरवी महिला फेडरेशन के बैनर तले इन जैसी हजारों महिलाओं ने स्वयंसहायता समूहों का गठन किया है और उसका सफल संचालन कर रही हैं. इससे वे न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हुई हैं बल्कि गाँव की समृद्धि  में भी अपना योगदान दे रही हैं. 
अपने प्रखंड में उपलब्ध सरकारी सुविधाओं को जनसुलभ बनाने के लिए वे मिलकर लड़ाई लड़ रही हैं और इस लड़ाई में उनका सबसे सशक्त हथियार है  सूचना का अधिकार जिसका वे बखूबी इस्तेमाल कर रही हैं. सूचना के अधिकार के माध्यम से इन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, गोला में स्वास्थ्य सुविधाओं में व्यापक सुधार का सफल उदाहरण पेश किया है.  
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,  गोला

लक्ष्मी महिला विकास संघ की सदस्य अलका बताती हैं कि उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, गोला में व्याप्त कुव्यवस्था को सूचना के अधिकार के माध्यम से उजागर किया और इसे लोगों को बताया. उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध सेवाओं व उनके लाभार्थियों की जानकारी मांगी और प्राप्त जानकारी को सार्वजनिक किया. उन्होंने सरकारी दावे और सच्चाई से लोगों को अवगत कराया. उनके इन्हीं प्रयासों से गोला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुर्ख़ियों में रहा और वहां  प्रशासन का ध्यान वहां केन्द्रित हुआ. आज के दिन  गोला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिले के अच्छे स्वास्थ्य केन्द्रों में शुमार किया जाता है. 
अलका बताती हैं कि यह सब इतना आसान नहीं था. इसके लिए उन्हें स्थानीय प्रशासन के विरोध व धमकियों का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी एवं उनका डटकर मुकाबला किया. वह बताती हैं कि इसमें उन्हें आमजन का सहयोग मिला क्योंकि लोगों को लगता था कि वे जो भी कर रही हैं अपने लिए नहीं बल्कि समाज के फायदे के लिए कर रही हैं. चमेली महिला विकास संघ की सदस्य सुबोध बताती हैं कि यह सब अचानक नहीं हुआ. स्वयंसेवी संस्था पब्लिक हेल्थ रिसोर्स नेटवर्क के हलधर महतो व झारखण्ड आर टी आई फोरम के शक्ति पाण्डेय सरीखे लोगों ने उनको यह सब करने के लिए प्रेरित किया तथा इसमें उन्होंने भरपूर सहयोग व मार्गदर्शन किया. धीरे धीरे उनमे जागृति आई  और उन्हें लगा की अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए आगे आना चाहिए.
फेडरेशन कि सदस्यों ने लोक स्वास्थ्य विभाग, जनापुर्ति विभाग सहित अन्य कई सरकारी विभागों से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी और उनके कार्यों में पारदर्शिता लेन का प्रयास किया है. 
गोला की ये महिलाएं गाँव घर के विवाद भी गाँव स्तर पर ही सुलझाने में अपनी भूमिका अदा कर रही हैं. स्थानीय लोग अपने विवादों के बीच मध्यस्थता करने के लिए उन्हें बुलाते हैं या आवश्यकता पड़ने पर वे खुद भी हस्तक्षेप करती हैं.

फेडरेशन की अध्यक्ष सुचित्रा याद करती हैं के कैसे गाँव की एक लड़की को  उसके ससुरालवालों की ज्यादती का शिकार होने से फेडरेशन ने बचाया. वह बताती हैं कि  पास के गाँव की एक लड़की को उसके गर्भवती होने पर ससुरालवालों ने झूठा लांछन लगा कर अपने पास रखने से इंकार कर दिया और उसे मायके भेज दिया. लड़की के गरीब माँ-बाप को इससे गहरा सदमा पहुंचा पर वे कुछ करने में असमर्थ थे क्योंकि ससुराल पक्ष उनसे मजबूत था. महिला फेडरेशन की सदस्यों को जब यह पता चला तो  उन्होंने इसका विरोध किया. उन्होंने ससुरालवालों पर लड़की को वापस रखने का दवाब बनाया. उनके दवाब के आगे लड़का पक्ष को झुकना पड़ा और लड़की को वापस बुलाना पड़ा. सुचित्रा के शब्दों में 'आज वह लड़की अपने घर की रानी है'. सुचित्रा ऐसे और कई किस्से सुनती हैं. वे बताती हैं कि फेडरेशन के सदस्यों ने कई महिलाओं को घरेलु प्रताड़ना से मुक्ति दिलाई है. उनका कहना  है कि कोई भी प्रयास वे साथ मिलकर करती हैं और यही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है. सुबोध बताती हैं कि घर से बहार निकलकर ऐसे सामाजिक कार्य करने पर शुरू शुरू में उनके अपने परिवारवालों के विरोध का भी  सामना  करना पड़ा लेकिन धीरे धीरे अब वे भी उनके कार्यों का महत्व समझने लगे हैं. 


गोला की महिलाओं की ये उपलब्धियां महिला सशक्तीकरण की आशाजनक तस्वीर पेश करती हैं  साथ ही यह कि सूचना के अधिकार का युक्तिसंगत प्रयोग कर समाज व शासन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है.  

Comments

  1. शुक्रिया।

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  2. श्री सुशील जी! आपके मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आशा है यह आगे भी जारी रहेगा. मैं आपके सुझावों का स्वागत करता हूँ और उसका अनुशरण करने की मेरी कोशिश रहेगी.

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  3. bahut bahut shukriya Samay

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  4. आनंद ! देवो की भाषा संस्कृत मुझे पसंद है. मैं इसका सम्मान करता हूँ.

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  5. धन्यवाद संगीता जी

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  6. सुंदर पोस्ट,..हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है ....

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  7. धन्यवाद वीना जी

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  8. " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.upkhabar.in

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  9. अच्छी रचना के लिए आभार. हिंदी लेखन के क्षेत्र में आप द्वारा किये जा रहे प्रयास स्वागत योग्य हैं.
    आपको बताते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है की भारतीय ब्लॉग लेखक मंच की स्थापना ११ फरवरी २०११ को हुयी, हमारा मकसद था की हर भारतीय लेखक चाहे वह विश्व के किसी कोने में रहता हो, वह इस सामुदायिक ब्लॉग से जुड़कर हिंदी लेखन को बढ़ावा दे. साथ ही ब्लोगर भाइयों में प्रेम और सद्भावना की बात भी पैदा करे. आप सभी लोंगो के प्रेम व विश्वाश के बदौलत इस मंच ने अल्प समय में ही अभूतपूर्व सफलता अर्जित की है. आपसे अनुरोध है की समय निकलकर एक बार अवश्य इस मंच पर आये, यदि आपको मेरा प्रयास सार्थक लगे तो समर्थक बनकर अवश्य हौसला बुलंद करे. हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे. आप हमारे लेखक भी बन सकते है. पर नियमो का अनुसरण करना होगा.
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच

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