तलाश
ख्यालों में आने वाली
मेरी जिन्दगी में आओ
मेरी जिन्दगी संवारो
मेरी संगिनी हो जाओ
मेरी कल्पना के साथी
मैं दीया हूँ तू है बाती
है नैराश्यपूर्ण अँधेरा
आशा का दीप जलाओ
ढूंढा बहुत जहाँ में
मिला ना मीत मन का
तलाश कर दो पूरी
मनमीत बन के आओ
बरसों से हूँ मैं प्यासा
एक बूंद प्रेम खातिर
जो मिला नहीं है मुझको
वो प्यार तुम बरसाओ
तनहा हूँ मैं सफ़र में
अपनों का साथ छुटा
ना फिक्र है जहाँ की
गर हमसफ़र बनाओ
शिकवे गिले अगर हों
सुलझाएं प्यार से ही
तकरार में भी गोरी
तुम प्यार ना भुलाओ
ख्यालों में आनेवाली
मेरी जिन्दगी में आओ
(पूर्वलिखित : जून 2002)
bahut sundarta ke sath hrdy ke bhavon ko abhivyakt kiya hai .aapki lekhn shamta bahut achchhi hai .badas .blogspot par meri rachna ki sarahna karne ke liye hardik dhanywad .mere blog ''vikhyat' par aapka hardik swagat hai .
ReplyDeleteशिकवे गिले अगर हों
ReplyDeleteसुलझाएं प्यार से ही
तकरार में भी गोरी
तुम प्यार ना भुलाओ
ख्यालों में आनेवाली
मेरी जिन्दगी में आओ
Shubhkamnayen....
kya khoob surat likhte hain aap...
ReplyDeletekaise hruday patal ko tatolte hain aap...??
nice creation...
Shikha, Deepak and Pratik...Protsahan ke liye bahut-bahut dhanyavad.
ReplyDeleteबहुत सुंदर - हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteधन्यवाद राकेश कौशिक जी
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