जिंदगी को अपने शर्तों पर जीना आसान नहीं होता. इस कठोर दुनिया में आपके संवेदनाओं को समझने वाले बहुत कम मिलते हैं. वे बहुत भाग्यशाली हैं जिन्हें ऐसे साथी मिले हैं जो उनको अपने सपनों के साथ जीने के लिए संबल प्रदान करते हैं और ठोकर लगने पर उन्हें सहारा प्रदान करते हैं.
गली की सफाई और प्रतिक्रिया
हम अपने जन सरोकार को कितनी अहमियत देते हैं इसकी एक बानगी देखिये. मैं प्रतिक्रिया के ऊपर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता बल्कि जैसा हुआ वैसे ही लिख कर आपसे राय चाहता हूँ। बात रविवार (१४ फरवरी २०१६) की है एक पखवाड़ा पहले मैंने यह निश्चय किया था कि मैं अपनी गली की सफाई झाड़ू लगाकर हर दुसरे रविवार को करूँगा। इसके लिए मुझे डंडे वाला झाड़ू चाहिए था। बहुत खोजने पर राजाबाजार में एक दूकान मिली जहाँ आर्डर देकर मैंने एक झाड़ू बनवाया और शुरू हुई सफाई। पहला रविवार: सफाई के पहले सफाई के पहले सफाई के बाद सफाई के बाद रविवार को मुझे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। गली के तीन-चार लोगों ने यह देखकर यह कहा कि...बहुत अच्छा कर रहे हैं आप। एक-दो लोग मिले जिन्होंने गली से गुजरते हुए अपनी बाइक धीमी की और कहा कि अच्छा काम कर रहे हैं। दूसरा रविवार: प्रतिक्रिया-1: मेरी गली के श्रीवास्तव जी सब्जी खरीद कर लौट रहे थे उनसे बात होने लगी। थोड़ी ही देर में वे चले गए तब तक एक सज्जन आए। उन्होंने मुझसे पूछा- आप किस संस्था स...
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