दीपावली की याद

दीपावली की एक तनहा रात
रौशन दीयों का जगमग साथ
उमड़ते-घुमड़ते कुछ ख़यालात
दीपों की आवली की तरह नहीं
आसमान में आतिशबाजी की तरह
कौंध जाते हैं रह-रह कर


याद आते हैं चंद चेहरे
बड़ी शिद्दत के साथ
और कई चेहरे
एक मुद्दत के बाद


कैसे होंगे वे जो बिछड़ गए
जिन्दगी के किसी मोड़ पर
और छोड़ गए खट्टी -मीठी यादें
क्या उनकी यादों में
मैं भी हूँगा कहीं


चंद लम्हों का साथ
जो खत्म हो गया
इन दीयों की तरह


इन्ही यादों में कहीं
मेरा गाँव मेरा घर
कुछ नए, पुराने होते हुए
कुछ पुराने, नए होते हुए
इन नए-पुराने के बीच
मैं हूँ कहीं
नया या पुराना?

Comments

  1. याद आते हैं चंद चेहरे
    बड़ी शिद्दत के साथ
    और कई चेहरे
    एक मुद्दत के बाद....

    waah...

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  2. धन्यवाद Bhai

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