जीवन की सार्थकता

परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते

स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम्

अर्थात : यह संसार परिवर्तनशील है और इस परिवर्तनशील संसार में जो पैदा
हुआ है उसकी मृत्यु होना निश्चित है। जन्म लेना उसका ही सार्थक है जो अपने
कुल की प्रतिष्ठा में वृद्धि करता है अर्थात समस्त समाज के लिये ऐसे काम
करता है जिससे सभी का हित होता है।

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